सदस्यता लें
संदेश (Atom)
न बिकती हर चीज
लज्जा का आभूषण करुणा के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज ह्रदय मे वत्सलता गुणीयों का रत्न नियति भी लिखती है न बिकती हर चीज
-
देखते हम ध्रुव तारा ब्रह्म है पर लोक प्यारा ज्योतिष में विज्ञान है अब चंद्र पर प्रज्ञान है देश अब आगे बढ़ा है चेतना के न...
-
जिव्हा खोली कविता बोली कानो में मिश्री है घोली जीवन का सूनापन हरती भाव भरी शब्दो की टोली प्यार भरी भाषाए बोले जो भी मन...
-
ऊँचे पर्वत मौन खड़े, जग में सीना तान इनसे नदिया नीर बहे, उदगम के स्थान गहरी झील सी आँख भरी, बोझिल है आकाश पर्वत टूट कर रोज गिरे, जंगल की है ...