बुधवार, 27 सितंबर 2017

महिमा की माँ गात रहा


  1.  

    माता मेरे साथ रही ,ममतामय परिवेश

    अंचल में वात्सल्य भरा ,करुणा का है देश


    माँ मन में विश्वास रहे, मन न हो निर्बल

    मन में ऊर्जा व्याप्त रहे ,श्रध्दा और सम्बल


    माँ शक्ति का रूप है, धन वैभव का स्रोत

    भक्ति से भरपूर रहे ,जलती पावन जोत


    माँ की ममता जिसे मिली ,धन्य हुआ वह जीव

    संवेदना से शून्य रहा ,ह्रदय विहीन निर्जीव


    महिमा की माँ गात रहा ,ग्रन्थ संत और श्लोक

    माँ के नयनो नीर बहा ,डूब गए तीन लोक


    माँ तेजोमय रूप है, होती ज्योति रूप

    पोषण पालन देती रही ,देती छाया धूप

     

    माँ प्रीति की गंध लिए रागिनी है राग

    भोजन माँ का पुष्ट करे जग जाते है भाग

    माँ के चरणों आज रहा होता भावी कल

    माँ की करुणा उसे मिली होता जो निश्छल

     

    हे माँ तेरी कृपा मिले तव चरणन की धूल

    जलते आस्था दीप रहे हो आलोकित हो मूल

     

    माँ की हर पल याद रही मात रही हर अंग

    माँ का मस्तक हाथ रहा जीत गए हर जंग

     

    जब तक चलती सांस रहे ममता हो विश्वास

    अवचेतन भी तृप्त रहे मिट जाए संत्रास

     

    माँ की शक्ति साथ रही साथ रहा आशीष

    भय बाधा से मुक्त हुए निर्भीक हुई हर दिश

    माँ नदिया सम साथ रही सिंचित होते खेत

    हर जन बुझती प्यास रही शिव के दर्शन देत


     

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज