मंगलवार, 13 सितंबर 2016

निद्रा

निद्रा क्या है
निद्रा एक स्वप्न है 
स्वप्न जो नेत्र खुलते ही  ध्वस्त हो जाता है 
निद्रा जब तक रहती है 
स्वप्न हँसाता है रुलाता है 
अप्राप्त वस्तुओ की प्राप्ति का अनुभव कराता है 
निद्रा दीर्घ कालीन नहीं 
अल्पकालीन होती है 
अनुभूतियों खट्टी मीठी अत्यंत शालींन होती है 
निद्रा में आलस्य है प्रमाद है थकान है
गहराई हुई रातो में यह मन लेता
 सपनो में ऊँची उड़ान है
स्वप्न अर्ध चेतना का प्रतिरूप है 
कल्पना चेतना सृजनशीलता है 
कर्म का होता स्वरूप है 
विशुध्द और निर्विकार मन 
निद्रा नहीं योग निद्रा ध्यान करता है 
नित्य नयी ऊर्जा पाकर
 आनंद का अनुभव  रसपान करता है 
इसलिए हे मन निद्रा नहीं 
योग निद्रा और ध्यान करो 
परम चैतन्य परमात्मा की स्तुति 
 उसका ही गुणगान करो


न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज