मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

दीवाली के दीप जले है, दीपो का त्यौहार है

दीवाली के दीप  जले है, दीपो का त्यौहार है 
मिली रोशनी अंधियारे को ,खुशियो की बौछार है 

मिटटी से बन जाता सब कुछ, माटी करती  प्यार है 
मिटटी के दीपक कर देते ,धरती का श्रृंगार है 
मिटटी से ही शिल्प ढला  है ,शिल्पी का  औजार है 

गौरी की छम छम पायलिया , बैलो के बजते घुँघरू 
रंगो से सजती दीवारे ,मस्ती की डम डम  डमरू 
दीपक सा जग -मग हो तन मन रोशन हर दीवार है 

कर्मो का यह दीप  पर्व है, करम धरम का मर्म है 
शुभ कर्मों  का सुफल होगा ,नीच कर्म से शर्म है 
बिना कर्म के आज नहीं है ,सपने हो बेकार है

1 टिप्पणी:

  1. दीवाली के दीप जले है, दीपो का त्यौहार है
    मिली रोशनी अंधियारे को ,खुशियो की बौछार है

    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें..

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज