सोमवार, 13 जनवरी 2014

कर्म से पहचान है

कर्म ही पूजा है प्यारे ,कर्म पावन ज्ञान है
कर्म ही किस्मत सँवारे ,कर्म
से पहचान है 

कर्म तुझको है पुकारे ,कर्म ही  बलवान है
कर्म से विमुख हुआ क्यों, कर्म से सम्मान है 

कर्मरत रहता निरोगी ,कर्म से मुस्कान है
कर्म कि तू कर परायण, कर्म ही भगवान् है 

कर्म गीता ने कहा है ,कर्म में सब कुछ रहा है
कर्म में  रहता कन्हैया. कर्म से निर्माण है 

कर्म क्यों न कर रहा है ?कर्म से क्यों डर रहा है ?
कर्म से मिलती है सिध्दि ,कर्म में हनुमान है

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज