शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

मन अमृत है विष मत घोलो

खुद को तोलो फिर कुछ बोलो 
मन अमृत है विष मत घोलो
जीवन तो वरदान है 

चन्दा तारा यह जग प्यारा 
जीवन सारा तू खुद हारा 
क्यों करता विषपान है?

भाव रंगीले नीले पीले
 चिंतन का वट  तट रेतीले 
करता क्यों अभिमान है ?

पल पल हर पल 
 कल  छल कल छल 
चंचल मन अविराम है 

टिम टिम टिम टिम 

 तारे टिम टिम
 रिम -झिम रिम झिम 
बारिश रिम झिम  कर लेना रस पान है 

राते  गहरी शाम सुनहरी 
दिन गुजरे और उषा ठहरी 
सुबह की  मुस्कान है  

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

बहुत है

आप पूजा करो या न करो 
पर आपके कारण कोई पूजा करने में समर्थ हो जाए यही बहुत है
आप सेवा करो या न करो 

आपके कारण कोई सेवा कर पाये यही बहुत है
आप दान करो या न करो

 पर आपके मितव्ययिता के कारण कोई दान कर पाये यही बहुत है

आप अच्छे वस्त्र और आभूषण पहनो या मत पहनो

 पर आपके सादगी किसी नंगे गरीब बच्चे और 
किसी नारी कि लज्जा ढक  पाये बहुत है
आप ईमानदारी से कार्य करो या न करो 

आपके व्यवहार से कोई ईमानदार रह पाये पर्याप्त है
आप  चरित्रवान रहो या न रहो आपकी ईच्छा  है 

पर आपके कारण किसी का चरित्र सुरक्षित रह जाए यह पर्याप्त है 

आपका व्रत उपवास उतना नहीं है आवश्यक 

जितना आवश्यक है कि किसी भूखे को समय से समुचित भोजन मिल जाए
आपकी साधना ईष्ट को  जब ही प्रसन्न कर पायेगी 

जब संसार कि प्रत्येक व्यक्ति के प्रति समदृष्टि हो आपकी 
प्रत्येक परिस्थिति में आपके मन में उल्लास है 

आप पढ़ाई  या स्वाध्याय करो या न करो 
पर आपके संयमित आचरण और उदारता से पढ़ पाये आगे बड़ पाये बहुत है
आप भले अकर्मण्य रहो भले आलस्य रत हो पड़े रहो

 पर आपकी अकर्मण्यता किसी कि सक्रियता बाधित न करे बहुत है
आप कुछ अच्छा रच सको या न रच सको

 पर आपकी द्वारा दी गई शान्ति से कोई व्यक्ति कुछ रच दे यह बहुत है

आप अपनी जिंदगी न बना पाये तो कोई बात नहीं 

पर आप किसी कि जिंदगी और भविष्य खराब न कर दे इतना ही काफी है
आप किसी  के प्रति दुर्भावना रखे या रखे द्वेष 

पर आपके कारण किसी कि सद्भावना और सहानुभूति सुरक्षित रह जाए बहुत है

मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013

नारी और नदि का अस्तित्व

नदि नदि नही नारी है नारी नारी नही नदि है
नदि और नारी सब समझती है सब जानती है
वह अपने भीतर की कमजोरिया और ताकत को अच्छी तरह पहचानती है
जीवन मे कौन है अच्छा और कौन है बुरा
कौन है पूर्णता को लिये हुये 
और है अादमी अधुरा
नदि ने अपना प्रदूषण खुद धोया है
घनघोर बारिश के भीतर किया है स्नान 
अपना आँचल भींगोया है
पर इन्सान ने अपनी गलतियो को नही सुधारा 
और फिर खूब रोया है
नदि और नारी को कोई कितना भी अपवित्र कर दे
 उसके पास पावनता के साधन है
और पुरुषो के पास उपयोग है उपभोग है 
शोषण की मानसिकता है ,भोग के संसाधन है
इसलिये नदि और नारि की सामर्थ्य को कोई नही समझ पाया है
नारी ने नदि बन कर और नदि ने बह- बह कर अपना अस्तित्व बचाया है

शनिवार, 12 अक्तूबर 2013

सूरज की संघर्ष यात्रा

उषा साक्षी है 
सूरज के संघर्ष यात्रा की
उसने देखा है 
सूरज के अँधेरे से लड़ने का साहस
सूरज का  वह साहस और पौरुष
 जो हम नहीं देख पाए 
हमें  तो  केवल  सूरज की सम्पूर्णता का ही अहसास है
हम नहीं जान सकते 
सूरज ने  सम्पूर्णता पाने के लिए कौनसे दर्द सहे है
सूरज के ह्रदय में दुखो के कौनसे लावा बहे है
इसके लिए हमें ब्रह्म मुहूर्त में पूरब के क्षितिज 
को निहारना होगा
देखना होगा की एक अन्धेरा 
उदित  होने वाले प्रतिभा के रवि को किस प्रकार डराता है
नया नवेला सूरज  जब उगने को होता है
 तब  अन्धेरा किस तरह गहराता है
जिसने भी सूरज की उस संघर्ष यात्रा को देखा है
प्रतिभा रूपी रवि को उसने ही जाना पहचाना है परखा है 

 

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज