गुरुवार, 29 अगस्त 2013

गलतिया

जीवन में गलतिया हर व्यक्ति से होती है
परन्तु गलतियों की पुनरावृत्ति बुरी आदतों का कारण होती है
बुरी  आदते व्यक्ति को अपराधी बना देती है
जब लोग गलतियों को बर्दाश्त करते है
 तो व्यक्ति स्वयं को सही मानने का भ्रम पाल लेता है
अपराध की तह तक जाने के लिए
अपराधी की मानसिकता तक जाना होता है
अपराधी के मनो मष्तिष्क के भीतर विचरने वाले विचारों
 षड्यंत्रों को पाना होता है
इसलिए गलतियों को मत दोहराओ
गलतिया करने वालो को
 जहा  भी अवसर मिले गलत जरुर ठहराओ
यह सच है इंसान गलतियों का पुतला है
पर गलतिया करते हुए यहाँ कोई इंसान नहीं निखरा है
गलत स्पष्टि करणों  से झूठा हुआ आदमी 
व्यक्तित्त्व बिखरा है

2 टिप्‍पणियां:

  1. शिक्षाप्रद अच्छी रचना |
    "यह सच है इंसान गलतियों का पुतला है ------व्यक्तित्व बिखरा है |"
    मन को छूती पंक्तियाँ |
    आशा

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज