शनिवार, 8 दिसंबर 2012

बहुत कुछ पाया है



आंसुओ की झील मे दिखा दर्द का साया है
रोशनिया झिल-मिलाई-चाँद उग आया है
जीवन मे कुछ खोया बहुत कुछ पाया है
आसमान आस्था का सजाया है पाया है

झील सी झील-मिलाई आँखों मे आशाये
खिल-खिलाई होठो पर प्यार की भाषाये
मंजिले मिल गई जब ख्यालो मे तुम आये
मिली खुशियो खुश्बू ,खुश्बू पल महकाये

निराशा के भीतर भी आशायेहोती है
जीवन की मस्ती को आशा संजोती है
आशाये सावन है आशाये मधुबन है
आशादम पर ही ज्योति है मोती है

 

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज