शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

क्रांति

क्रांति में रहते भगत सिंग ,क्रांति होती आग है
क्रांति होते उधम सिंग ,क्रांति से आजाद है
क्रांति में तो अमरता है ,क्रांति से सब संवरता है
क्रांति में है रागिनिया ,क्रान्ति ही युग राग है

क्रांति में दीवानगी है ,क्रान्ति में है जिंदगी
क्रांतिया भ्रान्ति को तोड़े ,भ्रान्ति में शर्मिंदगी
क्रांति होती चेतना है स्वदेश की संवेदना है
क्रांतिया जब हुई है ,मद मस्त होती बंदगी

क्रांति का ही राग छेड़ो,क्रांति का फूंको बिगुल
भ्रान्ति में मतिभ्रम रहता ,नीति होती ढुलमुल
क्रान्ति से मुक्ति मिली है मुक्ति से शक्ति खिली है
क्रांतिया चिंतन में रहती ,क्रांति करती अनुकूल 






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज