सोमवार, 25 जून 2012

मिटटी देती स्नेह

धीरज धर सुखी रहे ,दुःख पाये अधीर
जो दुःख में सुखी रहे ,कहलाता रणधीर

नीरज का अज नीर है ,बनी दूध से खीर
धन के हाथो नहीं बिका ,सत जिसकी जागीर

राज्य बिना अवधूत रहे ,
सूर
मीरा  कबीर
मुक्ति भक्ति के साथ रहे, टूटी भव जंजीर 

मिटटी की यह देह रही ,मिटटी की है गेह
मिटटी पर जो मर मिटे ,मिटटी देती स्नेह

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज