सोमवार, 26 मार्च 2012

कहाँ मेरे कृष्ण है

खोजता चारो तरफ मै कहाँ मेरे कृष्ण है 
पंथ पर कठिनाईया है और ढेरो प्रश्न है

ख़्वाब के जो थे किले वे खंडहर बन ढह गये 
भाग्य में जो दुख लिखे थे जिंदगी भर रह गये 
कुचलती सम्भावनाये ,होते नहीं अब जश्न है 

पाने को उत्सुक रहा हूँ  इष्ट तेरी साधना है 
राधे भी तुम ही हो मेरे ,तू मेरी आराधना है 
 टूटती मनोकामनाये,उलझे हुए कई प्रश्न है 

हो रही है हर दिशा में स्वार्थ की ही जंग है
कर्म क्षेत्र में खड़े पर  सारथे नहीं संग  है 
आचरण है छल कपट के पर सत्य ही वितृष्ण है

भावो  की खो गई सीता ,फैला हुआ चहु छद्म है 
गीतों में बसती न गीता ,काव्य नहीं पद्म है 
कृष्ण को मिलता न अर्जुन,पार्थ को न कृष्ण है

1 टिप्पणी:

  1. कृष्ण कृष्ण आप पुकारो कृष्ण अर्जुन के साथ है गीता का वो उपदेश याद करो धर्म तुम्हारे साथ हैं कृष्ण राधा वियोग सही प्रेम उनका पूजा समान हैं.

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज