दर्द की घाटी मे गीतो का उदगम
हरी भरी वादिया है दृश्य विहंगम
अश्रु सम भर आई ,बरसाती नदिया
खंडहरनुमा हुई ,बीती हुई सदिया झरता है गिरता है झरनो सा हर गम
घमंडी पगडंडी ,पड गये छाले
सडके हुई ठंडी ,कुचले घरवाले
खो गई जीवन मे खुशियो की सरगम
बन गये मरघट है ,सुख गये पनघट
तिर्थो पर पन्डो के ,रह गये जमघट
गंगा और यमुना का प्रदूषित संगम
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