सोमवार, 26 दिसंबर 2011

रहे नयन विश्वास सदा


नयन बिन सौन्दर्य नही ,भरा नयन मे नीर
नयन बिन दिखते नही ,मनोभाव और पीर ||1||
रहे नयन विश्वास सदा ,नयन चलाते तीर
नयनो से आकृष्ट हुई,नयन चंचला हीर ||2||
नयन बिन सूरदास रहे ,बसे नयन रघुवीर
नयनो से दिखती नही ,आत्मा की तस्वीर ||3||
नयनो मे काजल बसे ,बसे लाज का नीर
नयनों के कटाक्ष यहा ,देते उर को पीर||4||
यह शरीर एक दुर्ग हैऔर नयन प्राचीर
जो नैनो से समझ सके,बने वही महावीर ||5||
दो नयनो से दिखे नही,बाते कुछ गम्भीर
अनुभव,प्रज्ञा नैत्र से,दिखे क्षीर और नीर ||6||

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज