मंगलवार, 2 अगस्त 2011

हो गए गोल मटोल

योग धर्म का ज्ञान नहीं पहना भगवा वेश
अब संतन की जात में धूर्तो की घुसपैठ ||1||
आचरण बिन व्यर्थ रहे ,भाषण और उपदेश
अब कोरे आश्वासन से ,पलता है परिवेश ||2||
आयु का प्रतिबन्ध नहीं उमर भले हो साठ
सतत पठन से खुल सकेगी तेरे मन की गाँठ ||3||
बेरोजगार युवा पीढ़ी ,जनसँख्या विस्फोट
क्षमताये विकलांग हुई ,व्यवस्था में खोट ||4||
आर्थिक परतंत्रता देश हित को चोट
नए गेट प्रस्ताव से होगी लूट खसोट ||5||
निष्ठाए तो नित्य बिकी मूल्य हुए नीलाम
चारित्रिक दुर्बलता से देश हुआ बदनाम||6||
सुविधाए अनमोल हुई, प्रतिभाये बेमोल
नेताजी निरक्षर थे ,हो गए गोल मटोल||7||

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज