सोमवार, 18 जुलाई 2011

अब संयम टुटा जाता है

दुष्कर्मो का पाप कुम्भ जब पूरा भरने को आता है
दैत्य शक्ति के दर्प दमन को महाकाल फिर आता है

घाटी में आतंकी बनकर उग्रवाद ने रक्त पिया
कश्मीरी माता बहनों की शर्म लुटी विधवा किया
क्रूर पिशाची उग्रवाद फिर नग्न नृत्य दिखलाता है

भारत माता के बेटे हम कृष्ण बुद्ध के अनुयायी
बामियान की बुद्ध प्रतिमा क्यों थी ?किसने गिरवाई
प्रतिमा से अभिशापित होकर तालिबान मिटा जाता है

छोटे मोटे देशो को भी हमने जीवन दान दिया
बंग देश के हाथो फिर भी अपमानो का जहर पिया
आध्यशक्ति भारत माता का अब संयम टूटा जाता है

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज