ख़ूबसूरत आत्मा है खूबसूरत शरीर
प्रियतमा के मिलन को मन रखना धीर
कान्हा बासुरी बजे यमुना के तीर
तुम्ही मेरी राधा हो तुम्ही मेरी हीर
भर आये आँखों में यादो के नीर
विरह की है टीस ऐसी नित उठती पीर
ये दूरिया कम कर दो मेरे जगदीश
प्रियतमा में बसती है मेरी तकदीर
प्यार ही पूजा है प्रियतम मंदिर
मरुथल के जल जैसा ममता का नीर
चारो और घिर आया ईर्ष्या तिमिर
प्रीती का दीप ऐसा उसको दे चीर
भक्तो के ह्रदय में रहते रघुवीर
प्रियतमा के चितवन में प्रिय की तस्वीर
है प्रश्न खड़े जीवन में कितने गंभीर है
कृष्ण खड़े मधुवन में गोपियों से घिर
सोमवार, 21 मार्च 2011
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