सोमवार, 21 मार्च 2011

preetii

ख़ूबसूरत आत्मा है खूबसूरत शरीर
प्रियतमा के मिलन को मन रखना धीर
कान्हा बासुरी बजे यमुना के तीर
तुम्ही मेरी राधा हो तुम्ही मेरी हीर

भर आये आँखों में यादो के नीर
विरह की है टीस ऐसी नित उठती पीर
ये दूरिया कम कर दो मेरे जगदीश
प्रियतमा में बसती है मेरी तकदीर

प्यार ही पूजा है प्रियतम मंदिर
मरुथल के जल जैसा ममता का नीर
चारो और घिर आया ईर्ष्या तिमिर
प्रीती का दीप ऐसा उसको दे चीर

भक्तो के ह्रदय में रहते रघुवीर
प्रियतमा के चितवन में प्रिय की तस्वीर
है प्रश्न खड़े जीवन में कितने गंभीर है
कृष्ण खड़े मधुवन में गोपियों से घिर

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न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज